इलाहाबाद या प्रयागराज के संगम तीरे माघ मेला लगे या कुंभ या फिर महाकुंभ. श्रद्धालुओं के साथ यहां पढ़ कर दूसरी जगहों पर रोजी रोटी जुटा रहे भी मेला पहुंचने के लिए मचल उठते हैं. यादों की त्रिवेणी उनके दिल दिमाग में हिलोरे मारती ही रहती है. उसमें बहुत सारे नाम और स्थान बसे हैं. ये जगहे खासतौर से रेलवे स्टेशन अब नए नाम के दिख रहे हैं. दारागंज स्टेशन तो दिखेगा ही नहीं. मेले में ऐसे बहुत सारे लोग इन जगहों और निशानियों को खोजेंगे.