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सावधान! बच्चों को ब‍हलाने के ल‍िए मोबाइल थमाना खतरनाक, गूंगे और बहरे हो सकते हैं बच्चे, जानें एक्सपर्ट से

अलीगढ़: आपका मोबाइल भले ही आपके जीवन का हिस्सा बन चुका है, लेकिन यह आपके घर के नौनिहालों को गूंगा बना रहा है. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की बाल रोग विभाग की मनोचिकित्सक ने हैरान कर देना वाली बात बताई है.

मनोचिकित्सक डॉक्टर फिरदोस का कहना है कि मोबाइल से खेलने वाले छोटे बच्चों में बोलने की क्षमता घट रही है. पहले जो बच्चे 2 साल की उम्र में बोलना शुरू कर देते थे. वहीं, अब मोबाइल से खेलने के कारण बच्चे बोलने में 5 से 6 साल तक का समय लग रहे हैं.

वहीं, लोकल18 से बात करते हुए मनोचिकित्सक डॉक्टर फिरदोस जहां बताती हैं कि पिछले 1 साल में उनके सामने कई ऐसे मामले आए हैं. जिनमें 5 से 6 साल तक के बच्चों को बोलने में समय लग रहा है. जिसकी बड़ी वजह मोबाइल है. दरअसल, आजकल के पेरेंट्स काफी व्यस्त रहते हैं. ऐसे में बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं.

बच्चों को बोलने में आ रही है समस्या
डॉक्टर फिरदोस जहां ने बताया कि अगर छोटा बच्चा घर में रोता है, तो उसे शांत कराने के और घुमाने के बजाय माता-पिता मोबाइल पर गाना या कार्टून शुरू कर देते हैं. इससे बच्चा चुप हो जाता है. इसके बाद माता-पिता रेगुलर इसका यूज करने लग जाते हैं, लेकिन इससे बच्चा मोबाइल को सिर्फ सुनता है. वह ना तो बोलने की कोशिश करता है और ना ही जवाब देता है. इसी कारण से उन्हें बोलने और सीखने में काफी दिक्कतें आ रही हैं.

मोबाइल को रखें छोटे बच्चों से दूर
डॉक्टर फिरदोस जहां बताती हैं कि 5 से 6 साल बाद बोलने वाले बच्चों की संख्या एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में पिछले डेढ़- 2 सालों में काफी बढ़ी है. 5 से 6 साल तक के बच्चे ठीक से बोल नहीं पा रहे हैं. उनका उच्चारण ठीक से नहीं निकल रहा है.

ऐसे में कुछ बच्चे चाह कर भी नहीं बोल पाते हैं. अचानक ऐसे बच्चों की संख्या जब बढ़ने लगी, तो डॉक्टरों की टीम ने आंकड़ों के साथ इस पर पड़ताल शुरू की. जिसमें पाया गया कि बच्चों के जन्म के बाद मोबाइल की लत इस समस्या का बड़ा कारण है.

माता-पिता ऐसे करें बच्चों की देखभाल
बच्चों पर नजर रखें कि वह इंटरनेट या मोबाइल पर कितने घंटे बिताते हैं. उम्र के हिसाब से स्क्रीन टाइम लिमिट तय करें. बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी जैसे कसरत साइकिल चलाना या चलने दौड़ने वाला खेल खिलाएं. सामान्य यूट्यूब या गूगल के बजाय बच्चों के लिए सुरक्षित यूट्यूब फॉर किड्स डाउनलोड करें.

Tags: Aligarh news, Health tips, Local18, UP news


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