यदि आपका अपने कर्मों पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं है तब वह भाग्यवाद होगा. लेकिन ऐसा केवल जानवरों के मामले में होता है. जानवर कर्म संचय नहीं करते क्योंकि वे बस अपने स्वभाव और प्रवृत्ति का पालन करते हैं. इसके विपरीत, मनुष्य न केवल प्रवृत्ति से बल्कि अपने मन से भी संचालित होते हैं.